समय रहते रोक �दया। "देखो, यह बड़ा हो रहा है।"
�वशाल ने �सर �हलाया, "हाँ! हम �यादा हवा भरते ह�, इस�लए
यह �यादा जगह ले रहा है!"
�वशाल ने हवा भरना जार� रखा, और पॉप! गु�बारा जोरदार
धमाके के साथ फटा, �जससे वह पीछे क� ओर कू द पड़ा।
भीम ने के क नीचे रखते �ए कहा, "बेशक! ले�कन सबसे पहले
मुझे यह बताओ �क तुम दोना� �या कर रहे थे?"
�वशाल ने उ�साह से कहा, "सागर और म� गु�बारे को फु लाकर
देख रहे थे �क फटने से पहले यह �कतना बड़ा हो सकता है!
भीम क� आँख� चौड़� हो गइ�। उ�हा�ने अलग-अलग आकार के
गु�बारे आज़माये। फू टने से पहले उनम� से कु छ छोटे और कु छ
बड़े �ए।
भीम ने कहा, "तु�ह� पता है, ये गु�बारे मुझे हमारे �कू ल के पानी
क� टं�कया� वाले �ोजे�ट क� याद �दलाते ह�। गु�बारा हवा को
वैसे ही रखता है जैसे पानी क� टंक� पानी को रखती है!"
सागर मु�कु राया और बोला, "�ब�कु ल! गु�बारा फटने से पहले
एक �न��त मा�ा म� ही हवा भर सकता है, ठ�क वैसे ही जैसे
एक ट�क म� पानी क� �न��त मा�ा ही भर सकती है, उसके बाद
उसम� अ�त�वाह हो जाता है।"
�वशाल क� आँख� चमक उठ�। “ओह! इसे ही हम �मता कहते
ह�—वह अ�धकतम मा�ा �जसे कोई चीज़ धारण कर सकती
है।”
सागर ने कहा, "ठ�क है! और इस समय गु�बारे म� हवा क�
वा�त�वक मा�ा—या ट�क म� पानी—यही आयतन है।"
�वशाल ने �सर �हलाया, "तो �मता वह कु ल मा�ा है जो इसम�
समा सकती है, और आयतन वह है �क हमने अब तक �कतना
अंदर डाला है!"
भीम ने के क क� ओर देखा। "और के क �जतना बड़ा होगा,
उसका आयतन भी उतना ही अ�धक होगा �या��क वह अ�धक
सागर हँसा, “देखा? ऐसा तब होता है जब आप �मता से आगे
�नकल जाते ह�!"
तभी भीम के क लेकर अंदर आया। "यहाँ इतना शोर �या� है?
सागर, तु�ह� अभी तक यहाँ नह� आना चा�हए था! यह तु�हारे
�लए एक सर�ाइज था!"
सागर मु�कु राया, "म� अभी अंदर आया और �वशाल को गु�बारे
उड़ाते देखा। चलो सर�ाइज क� �च�ता मत करो। इस �दन का
आनंद लेते ह�।"